सभ्यताएं संवाद करती हैं, संघर्ष नहीं..
सभ्यता का अर्थ है एक विचारशील, विकासशील, उदार और सदाशयी मानव समुदाय। इसलिए सभ्यताएं संघर्ष नहीं, संवाद करती हैं।
हमारे बारे में
सभ्यता अध्ययन केंद्र एक पंजीकृत पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट है। यह एक अलाभकारी संस्था है और यह समाज तथा शासन के सहयोग से कार्य करती है। इसकी स्थापना वर्ष 2015 में नई दिल्ली में की गई थी। तब से सभ्यता अध्ययन केंद्र भारतकेंद्रित अध्ययन और शोध को प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है।

दृष्टिकोण
1. परस्पर सम्मान मानवता और सभ्यता के अस्तित्व का आधार है। 2. सभ्यताओं के सामंजस्य के साथ एक संघर्ष-मुक्त विश्व।

लक्ष्य
1. अंतर-सभ्यतागत सामंजस्य को बढ़ावा देना। 2. सभ्यतागत संघर्ष को समाप्त करना।

कार्य योजना
1. विश्व के इतिहास, संस्कृति, दर्शन, राजनीति और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों का मौलिक संदर्भों और प्राथमिक स्रोतों से अवलोकन और विश्लेषण करना।

शोध
सभ्यता अध्ययन केन्द्र का मुख्य कार्य शोध करना है। यह शोध निष्पक्ष मानसिकता, व्यापक ज्ञान और प्रमाणों पर आधारित होता है। अब तक सभ्यता अध्ययन केन्द्र ने विभिन्न विषयों पर गहन शोध किया है, जैसे: आदिवासी संस्कृति, ऐतिहासिक कालक्रम, भारत की जाति व्यवस्था, भारत की शिक्षा प्रणाली, जन स्वास्थ्य सभ्यता अध्ययन केन्द्र अपने शोध कार्यों में तथ्यात्मकता और निष्पक्षता को प्राथमिकता देता है।

संगोष्ठी
पिछले नौ वर्षों में सभ्यता अध्ययन केन्द्र द्वारा देशभर में कुल 14 राष्ट्रीय सम्मेलन और कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है। इन राष्ट्रीय सम्मेलनों में 12 राज्यों के विद्वानों ने भाग लिया है। इसके अतिरिक्त, सभ्यता अध्ययन केन्द्र ने लगभग 75 ऑनलाइन व्याख्यान और व्याख्यान श्रृंखलाओं का आयोजन किया है।

पाठ्यक्रम
सभ्यता अध्ययन केन्द्र ने ऑनलाइन प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम चलाने की योजना भी बनाई है। इसके तहत कुछ पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं, जैसे: सभ्यतागत जनसंचार, भारतीय कालक्रम, भारतीय ज्ञान प्रणाली, धर्म और मजहब का तुलनात्मक अध्ययन, धर्म और मजहब इन पाठ्यक्रमों की सामग्री विकसित करने की प्रक्रिया जारी है।